हार्मोनल असंतुलन से हैं परेशान? ट्राई करें हार्मोन को बैलेंस करने वाले ये 5 योग

 हार्मोन्स में असंतुलन से परेशान लोगों के लिए राहत, इन चार योगासनों से मिलेंगे अविश्वसनीय लाभ


चिकित्सा सभी समस्याओं का अंतिम समाधान नहीं है। दरअसल, योग से हार्मोन असंतुलन को कम किया जा सकता है।
योग का अभ्यास सदियों से किया जाता रहा है। योग से लगभग हर स्वास्थ्य समस्या का समाधान किया जा सकता है, जिसमें हार्मोनल असंतुलन भी शामिल है। योग आपके मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने और आपके चयापचय को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। यह तनाव, चिंता और अवसाद से निपटने में भी मदद कर सकता है।
हार्मोन्स हमारे शरीर में जीवन की प्रमुख प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। जब हार्मोन्स संतुलित नहीं रहते हैं तो कई तरह की समस्याएं शुरू होने लगती हैं, जैसे- बाल झड़ना, पीरियड लेट से आना, अचानक वजन बढ़ना, मूड स्विंग आदि। हार्मोन्स हमारे शरीर के केमिकल मैसेंजर होते हैं। जब हार्मोन का असंतुलन होता है तो आपके पास एक निश्चित हार्मोन बहुत कम या ज्यादा हो जाते हैं। 
इससे होने वाले छोटे बदलाव आपके पूरे शरीर में गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। जबकि कुछ हार्मोन का स्तर लाइफटाइम बढ़ता-चढ़ता रहता है और यह आपकी बढ़ती उम्र की वजह से हो सकता है। लेकिन अन्य परिवर्तन तब होते हैं जब एंडोक्राइन ग्लैंड निर्धारित मात्रा में ब्लड नहीं पहुंचाते हैं। आपको बता दें कि हार्मोन का संतुलन बनाए रखने के लिए योगासन प्रभावी तरीका माना जाता है। ऐसे में आज हम बताएंगे कुछ ऐसे योगासन जो हार्मोन्स का संतुलन बनाए रखने में मददगार साबित हो सकते हैं। 

पीसीओएस और हार्मोनल असंतुलन के लिए योग


महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के लिए यहां कुछ प्रभावी योग दिए गए हैं:

•भुजंगासन या कोबरा पोज

योग चटाई पर पेट के बल सीधे लेट जाएं, हथेलियां सीधे कंधों के नीचे, आपकी कोहनियां सीधे पीछे की ओर हों और उन्हें अपने पक्षों में टिका लें.
अपनी छाती को फर्श से उठाने के लिए श्वास लें. अपने कंधों को वापस रोल करें और केवल नाभि तक उठाएं. सुनिश्चित करें कि आपकी कोहनी अपने पक्षों को गले लगाना जारी रखें. दोनों तरफ से उन्हें विंग न करें. कंधों को कानों से दूर खींचें.
अपनी गर्दन को सीखा रखें; इसे क्रैंक न करें आपकी टकटकी फर्श पर रहनी चाहिए.
इस मुद्रा में पांच लंबी सांस लें और फिर सांस छोड़ें और फिर वापस प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं.

•शलभासन

हार्मोनल असंतुलन के लिए यह आसन पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत करता है। पेट की मांसपेशियों को टोन करता है और अंगों को उत्तेजित करके गर्भाशय (Uterus) और अंडाशय की समस्याओं वाली महिलाओं की मदद करता है।
पेट के बल लेट जाएं और हाथों को बगल में रखें।
अपने माथे को फर्श पर रखें।
सांस छोड़ते हुए अपने सिर, कंधे, हाथ, धड़ और पैरों को फर्श से ऊपर उठाएं।

•मालासन (Malasana)

मलासन जांघों, कमर, कूल्हों, टखनों और बॉडी को स्ट्रेच, पेट की मांसपेशियों को टोन और कोलन के कार्य में सुधार, व पेल्विस में ब्लड सरकुलेशन को बढ़ाने वाला योगासन (Yogasan) है। जिससे सेक्सुअल एनर्जी रेगुलेट होती है। हार्मोन संतुलन बना रहता है।
इसे करने के लिए सबसे पहले आपको एक मैट पर अपनी टांगों को दूर दूर करके बैठ जाना है। 
-आपको स्क्वाट की अवस्था में बैठना है और अपने हिप्स को जमीन पर नहीं रखना है। 
-अगर आपकी एड़ी जमीन पर नहीं टिक रही हैं तो उनके नीचे एक टॉवल रख लें। 
-अब अपनी ऊपरी बाजुओं को घुटनों के अंदरूनी भाग में लेकर आएं और अपनी कोहनियों को जांघों के समीप रखें। 
-अपनी दोनो हथेलियों को मिला लें। अब 10 लंबी लंबी सांस लें।

•कैमल पोज 

    जिन लोगों को हार्मोनल समस्याएं होती हैं, विशेषज्ञ उन्हें कैमल पोज के नियमित अभ्यास की सलाह देते हैं। कैमल पोज या उष्ट्रासन, हार्मोनल असंतुलन के कारण मासिक धर्म चक्र में होने वाली अनियमितता को कम करने के साथ शरीर के अंगों में रक्त के संचार को ठीक बनाए रखने में काफी सहायक है। रोजाना इस योग के अभ्यास की आदत बनाकर आपको कई प्रकार से लाभ मिल सकता है। 

•मकरासन

मकरासन योग अभ्यास को रीढ़ की हड्डी, कमर और पीठ के दर्द से छुटकारा दिलाने के साथ हार्मोन्स के असंतुलन को ठीक करने में सहायक माना जाता है। इस योग को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। अब अपने सिर और कंधों को ऊपर उठाएं और ठोड़ी को हथेलियों पर और कोहनियों को ज़मीन पर टिका लें। सांस लेते हुए माथे को ऊपर उठाएं और आराम से सांस को छोड़ें। इस अभ्यास को 20-30 बार किया जा सकता है।

•शीर्षासन

   इन दिनों यह आसन लोगों के बीच काफी पॉपुलर है। हार्मोन्स को बैलेंस रखने के अलावा इस आसन को करने से स्किन ग्लो करने लगती है और चेहरे से झुर्रियाँ भी गायब होने लगती है। अगर आपको हार्ट संबंधी बीमारी, आंखों की कमजोरी, कमर दर्द, गर्दन दर्द जैसी समस्याएं हैं तो इस आसन को करने से बचें। 
भुजंगासन की तरह ही शीर्षासन को भी खाली पेट करें। इसके लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं और अपने हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें। अब अपने माथे से ऊपर जहां पर बाल होते हैं वहां से दोनों हाथों की उंगुलियों को इंटरलॉक कर लें। अब आगे झुकते हुए अपने सिर को जमीन पर रख लें और दोनों हाथों की कोहनियों को जमीन पर टिका दें। इस दौरान हाथों की उंगलियों को आपस में इंटरलॉक रखें। सांस की गति नॉर्मल रखते हुए हाथों पर जोर डालते हुए शरीर का भार अपने सिर पर लाएं और फिर दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और एकदम सीधे रखें। आप चाहें तो शुरुआत में इसे करने के लिए दीवार या फिर किसी की मदद ले सकती हैं।

•स्ट्रेचिंग

   स्ट्रेचिंग से तनाव हार्मोन का स्तर कम होता है। आप योग या जिम्नास्टिक कक्षा में शामिल हो सकते हैं या अपने घर पर इसका अभ्यास कर सकते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि नियमित स्ट्रेचिंग उन व्यक्तियों में वजन बढ़ाने और बनाए रखने पर समान प्रभाव डाल सकती है जिन्हें वजन प्रशिक्षण/शक्ति प्रशिक्षण करने से प्रतिबंधित किया गया है या अन्यथा करने में असमर्थ हैं।

नोट: गर्दन और पीठ की समस्या वाले लोगों को इनका अभ्यास नहीं करना चाहिए।

हमारा सुझाव है कि सभी योग मुद्राओं को कम से कम 10 सेकंड तक रखें और मुद्राओं को तीन बार दोहराएं।




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